Wednesday 27 January 2016

मैंने  देखा हैं सपनो को हार मानते हुए ,मैंने देखा हैं हिम्मतो को टूट जाते हुए ,देखा हैं आसमान से गिरते तारो को बटोरने की कोशिश में धरती में उन्हें समाते हुए ,मैंने देखा हैं युगो पुरानी गठरी में अपनी आशाओं को छिपा घुटते -घुटाते हुए।  देखा हैं मैंने उम्मीद भरी नज़रो से उन्हें देखते फिर आसुंओ की बाढ़ में उम्मीदें बहाते हुए।
मैं एक नारी ,भारत की नारी ,मैंने देखा हैं कई नारियों को अपनी शक्ति  भूल  पग बिछौना बन जाते हुए।
नारी होने को अभिशाप मानकर एक शापित जीवन बिताते हुए  ........

मैं एक नारी,भारत की नारी ,मैंने देखा हैं मंदिरो में देवो -दानवो द्वारा मुझे पूजते हुए , मेरे एक वर , मेरे आशीष , मेरी शक्ति ,मेरी सिद्धि के लिए मेरे चरणो की पूजा करते हुए ,तप , आराधना , वंदना करते हुए।
मैं भारत की नारी मैंने जाना हैं यह विश्व ,यह धरनी, सूर्य की सहस्त्र किरणे ,  रात्रि का तमस , धरती की गोद फाड़ बहते सैकड़ो जल के स्त्रोत्र यह सब मेरी शक्ति का एक कण मात्र हैं।  मैं भारत की नारी ,केवल मैं जानती हूँ की मैं अश्रु नहीं ,दैन्य नहीं , अबला नहीं मैं हास्य ,चैतन्य ,सम्पूर्ण सबला हूँ। मैं विवेक ,आनंद स्वयं सिद्ध , सिद्धि -सिद्धा हूँ।

मैं और आप हम भारत की नारियां सिद्धि -शक्ति -स्वप्रकाशिका  . ......